लेखनी कहानी -02-Feb-2022
एक श्राप
भाग- 13
मेरी बड़ी बहन ने उसके तुम्हारे दादाजी के सात पुश्तों को यह श्राप दिया,उनके बड़े भाई को बेटा हुआ। घर में खुशी मनाई गई। उसके कुछ दिनों बात अमावस्या आयी, रोजाना की तरह दादाजी की भाभी उन्हें दुध देने आयी दादाजी अक्सर देर रात तक पढ़ाई करते थे तो 12 बजे तक सोना उनकी आदत थी, तो उनकी भाभी सब काम निपटा कर सबसे बाद में उन्हें दुध देती फिर सोने चली जाती उस दिन जब वो उनके कमरे में गई वो बुरी तरह से तड़प रहे थे, दोनों ही बात से अंजान के क्या होने वाला है, और भाभी देवर जी देवर जी करती रही जितने में नौकर और बड़े दादाजी आए, दादाजी आधे भेड़िये बन चुके थे भाभी पीछे हटी भी लेकिन तुम्हारे दादाजी ने अपनी ही भाभी की गला अपने नाखूनों से चिर दिया। उनके बड़े भाई हाथ में बंदूक लिए तो खड़े थे लेकिन बंदूक चला नहीं पाए। ओर दादाजी जंगल की ओर भाग गए। क्यूंकि वो जंगली भेड़िया बन चुके थे। अगले दिन जब उनकी भाभी की अर्थी उठने लगी वो उनके पैर पढ़कर खूब रोये क्योंकि उनकी भाभी उनके लिए बिल्कुल बड़ी बहन जैसी थी। तब उनके बड़े भाई ने उन्हें नजरों से दूर चले जाने को कहा। तुम्हारे दादाजी सिर्फ अपनी एक अटैची में कपड़े डिग्रियां लेकर वहाँ से हमेशा के लिए चले आयें क्योंकि गलती उन्हीं की थी के बिन जाने पहचाने एक गलत लड़की से प्यार कर बैठे उन्हें रोना आता कि भतीजा जो अभी दुधमुंहाँ है उससे उसकी माँ छीन ली। लेकिन तभी उन्होंने प्रण किया के इस परिवार को श्राप मुक्त करना है बड़ी तकलीफें सही हैं उन्होंने एक राजा की जिंदगी जीने वाला आदमी अब बेघर था कोई रहने को जगह नहीं ये जगह तभी तो उन्हें जान से ज्यादा प्यारी है यही रहते थे गर्मी सर्दी बरसात इसी जगह से उनका गुजारा हुआ है। अच्छा दादी सा नील ने पूछा आप दोनों कैसे मिले। हँसते हुए बस ये सब उपर वाले का चमत्कार कह सकते हो। में तो वैसे भी कोई जादू जानती नहीं थी बस शिव में बहुत मानतीं थी, उस समय जब मेरी बहन ने राजा के घर के साथ ये सब किया हमे भी बेघर कर दिया गया था तो उसी जंगल के पास हमारा भी छोटा सा कच्चा घर था वो भी इस तरह छिपा का बनाया था कि कोई देख ना ले उस शहर से दूर थे लेकिन संभल कर रहना चाहते थे तो घर में बाथरूम नहीं थे शौच के लिए बाहर ही जाना होता, एक दिन मेरा पेट सही नहीं था तो मुझे जंगल की तरफ जाना करीबन 4 बजे के आसपास जाना पड़ा,सब सो रहे थे तो बिना किसी को साथ लिए ही मैं चली गई। हाथ में छोटी सी लालटेन और पानी का मग, में चली जा रही थी तभी एक जानवर सा कोई मुझ पर झपटा, लेकिन गिर घर आदमी बन गया बिचारा दर्द में तड़प रहा था मैने तुरंत उसे नीचे लिटाया, अपने दुपट्टे से उसे ढका उसके शरीर पर एक पतला कपड़ा ना था। में थोड़ी देर वहाँ बेटी फिर लालटेन उसके चेहरे की तरफ करते ही में हैरान हे भगवान! ये तो तुम्हारे दादाजी है मुझे घर में हुई बात से ये पता चला था कि दीदी ने उस राजघराने के छोटे बेटे को जादू से आधा भेड़िया बना दिया है। में डर भी गई लेकिन ये समझ गई के इसको मेरी मदद चाहिए। तो क्या करूँ। तो जब वो होश में आये रोने लगे मुझे माफ करना अगर तुम्हें चोट पहुंची हो। मैने कहाँ नहीं चलिए आपको घर छोड़ दूँ। उसने कहा मेरा कोई घर नहीं बस जंगल के किनारे रहता हूँ, वो मुझे नहीं जानते थे बस में उन्हें जानती थी। तो चलिए वहाँ चलते हैं। हम उस जगह पहुँचे बस छप्पर और कुछ नहीं मेने कहा। आप यही रुकिए आपसे कल इसी समय मिलने आऊंगी। उन्हें ऐसा लगा जैसे उन्हें कोई सहारा मिल गया हो और मुझे तो मैं जो चाहती थी वो ही मिल गया था। अब मैने एक प्लान बनाया के दीदी से इसका तोड़ भी तो निकल वालूँ ।तब अगले दिन मैने मेरी बहन से पूछा सुन जो ये भेड़िये का श्राप है ये मिटेगा कैसे कुछ नहीं वो महुआ के अलग अलग प्रजाति कम से कमी तीन तरह के पौधे उनकी बगिया सी बनाओ उसमे जिसे भी ये श्राप हो सुला दो उसी रात ये श्राप खत्म हो जाएगा। लेकिन ये मिलेंगे कहाँ दीदी, ये घने जंगलों में मिलेंगे दो प्रजाति तो मिल भी जायेगी लेकिन तीसरे बड़ी दुर्लभ है। ओर जानते हो वो अभी कुछ दिनों पहले आस्ट्रेलिया के जंगलो में मिली उसका एक पौधा एक लाख का मिला क्योंकि वहां भी इसका प्रयोग महँगी दावा में होता है। अब बाग बनाने के लिए कमी से कमी 100 पौधे चाहिए थे, दादाजी ने अपनी काफी सम्पति लगा दी है बस अब ये काम कर जाये।
पढना जारी रखें ।
Mahesh sharma
04-Mar-2022 10:37 PM
Keep it up beta
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Arshi khan
04-Mar-2022 07:39 PM
बहुत खूब
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